लेखनी प्रतियोगिता -14-Apr-2023 दूसरे की महफिल
अमर के घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। इसलिए अमर अधूरी पढ़ाई छोड़ कर नौकरी ढूंढने लगता है। और जगह जगह नौकरी ढूंढने के बाद एक कंपनी में अमर की नौकरी लग जाती है।
अमर सीधा-साधा और शर्मिला युवक था। पहले दिन से ही अमर ईमानदारी और मन लगाकर काम करता है। और उसका काम जो अधूरा रह जाता है, उसे वह छुट्टी होने के बाद भी पूरा करके घर जाता है।
उस कंपनी में लड़के लड़कियां मिलाकर कुल दस बीस लोगों का स्टाफ था। सब स्टाफ के लड़के लड़कियां आपस में बातचीत करते थे, तो अमर उनके ग्रुप से अपने को अलग महसूस करता था।
अब तक किसी काम के अलावा कंपनी के स्टाफ से अमर कि कभी घुल मिलकर बात नहीं हुई थी।
अमर को उस कंपनी में काम करते करते एक सप्ताह बीत जाता है।
अमर अपने काम में तो मन लगाना चाहता था, लेकिन उस कंपनी में अकेलेपन की वजह से उसका नौकरी में मन नहीं लगता था।
उस कंपनी में एक तनुजा नाम की लड़की भी काम करती थी। वह एक सप्ताह की छुट्टी लेकर ऑफिस से गई हुई थी। एक सप्ताह की छुट्टी खत्म होने के बाद वह दोबारा अपनी नौकरी पर आती है।
अमर चुपचाप शांत अपनी टेबल पर काम में व्यस्त था, तो उसी समय तनुजा की नजर अमर पर पड़ती है।
तनुजा अमर की तरफ देखते हुए अपनी साथ की स्टाफ की लड़कियों से धीरे-धीरे अमर के विषय में पूछती है।
और काम में व्यस्त अमर कि अचानक नजर तनुजा पर पड़ती है। अमर समझ जाता है कि तनुजा और उसके साथ स्टाफ की लड़कियां मेरे विषय में ही कुछ धीरे-धीरे बात कर रही है, इसलिए उनको देखकर अमर शर्मा जाता है।
पहली ही नजर में अमर को तनुजा समझदार लड़की नजर आती है। तनुजा को देखने के बाद अमर का उसी कंपनी में नौकरी करते रहने का मन करने लगता है।
कंपनी का बाकी स्टाफ एक साथ बैठकर लंच करता था। लेकिन अमर सबसे अलग खाना खाता था और खाना खाने के बाद चुपचाप अकेले बैठा रहता था।
तनुजा और स्टाफ के बाकी लड़के लड़कियां खाना खाते हुए हंसी मजाक करते रहते थे। अमर उन्हें चुपचाप दूर से देखता रहता था।
तनुजा का छोटा भाई जब दसवीं कक्षा पास कर लेता है, तो तनुजा स्टाफ में बांटने के लिए अपने साथ मिठाई लेकर आती है। तनुजा छोटे भाई के पास होने की खुशी में बहुत खुशी से कंपनी के स्टाफ में मिठाई।
उस समय अमर स्टॉप के लड़कों लड़कियों से अपने को अलग महसूस करता है। इसलिए अमर थोड़ी देर के लिए वहां से उठकर कंपनी से बाहर चला जाता है।
और जब अमर कंपनी के अंदर आता है, तो तनुजा मिठाई का डिब्बा लेकर अमर को मिठाई खिलाने उसके पास आती है।
तनुजा के इस बर्ताव के बाद उस दिन अमर को तनुजा से बहुत अपनापन महसूस होता है।
जिस दिन तनुजा कंपनी से छुट्टी कर लेती थी, तो उस दिन अमर का कंपनी में मन नहीं लगता था। जब तनुजा दूसरे दिन ऑफिस आती थी, तो अमर को बहुत अच्छा महसूस होता था।
और धीरे-धीरे तनुजा से अपनेपन की वजह से अमर अब कंपनी के स्टाफ के साथ बैठकर लंच भी करने लगता है।
एक दिन लंच करते करते अमर तनुजा की पर्सनल लाइव के बारे में हद से ज्यादा पूछने लगता है। तो अमर की यह बात तनुजा के ग्रुप के लड़कों लड़कियों को पसंद नहीं आती है और वह वहां से अमर को जाने के लिए कह देते हैं।
उस दिन अमर को यह बात समझ में आ जाती है कि सबकी अपनी अपनी महफिल होती है। किसी दूसरे की महफिल में खुलकर बात करने का बाहर के किसी स्त्री पुरुष को कोई हक नहीं होता है।
डॉ. रामबली मिश्र
15-Apr-2023 05:24 PM
बेहतरीन
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Mukesh Duhan
15-Apr-2023 04:06 PM
Nice ji
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ऋषभ दिव्येन्द्र
15-Apr-2023 12:22 PM
बहुत खूब
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